आये है, तो कटेंगे एक रात तुम्हारी बस्ती मैं
चाहोगे तो कर लेंगे, दो बात तुम्हारी बस्ती में
अगर मन के सुने आँगन मैं जो एक घटा बन जाओगे
कर देंगे हम गीतों की बरसात तुम्हारे आँगन मैं
चाहोगे तो कर लेंगे, दो बात तुम्हारी बस्ती में
अगर मन के सुने आँगन मैं जो एक घटा बन जाओगे
कर देंगे हम गीतों की बरसात तुम्हारे आँगन मैं
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